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Prerak Kahaniya : गलती स्वीकारे |
Baccho ki Kahani | Prerak Kahaniya : गलती स्वीकारे | Apeksha Mazumdar
Prerak Kahani | Aparna Mazumdar
हर कहानी कुछ कहती है। कहानियों से हमे सीख मिलती है। हर कहानी का एक उद्धेश्य होता है। कहानियां हमें प्रेरणा देती है। मन में जोश और उत्साह का संचार करती है। आज मैं जो कहानी सुनाने जा रही हूं उसका र्शीषक है गलती को स्वीकारें। अपनी गलती को स्वीकार करना चाहिए.
लोग गलतियां तो करते है लेकिन उसे स्वीकार करने का साहस अधिकतर लोगों में नहीं होता है और वे अपनी गलती को स्वीकार नहीं करते है। गलती को स्वीकार करने की बजाय जो गलतियों को छुपाते है वे आने वाले दिनों में और गलतियां करते हैं।
गलतियों के कारण सफलता उनसे कोसों दूर होती जाती हैं और व्यक्ति अमीर नहीं बन पाते है। गलती होने पर उसे स्वीकार करें और उसका विश्लेषण करें। गलती क्यों हुई? गलती कैसे हुई? उस कमी को दूर करें। अपनी गलती से सबक लें।
ऐसा कोई व्यक्ति नहीं मिलेगा जिन्होंने अपने जीवन में कोई गलती नहीं की है। इग्लैंड के सम्राट चतुर्थ हेनरी के पुत्र से भी गलती हुई थी लेकिन उन्होंने अपनी गलती को स्वीकार भी किया था।
यह घटना उस वक्त की हैं, जब इग्लैंड में सम्राट चतुर्थ हेनरी का शासन था। सम्राट हेनरी बहुत ही विनम्र और न्यायप्रिय राजा थे। उनके राज्य की प्रजा उनसे काफी खुश थी। हेनरी के पुत्र युवराज हेनरी का स्वभाव ठीक उनके विपरित था।
वे बात-बात पर किसी से भी लड़ पड़ते थे। दुसरों को नीचा दिखाने में उन्हें बहुत मजा आता था। उनके अनेक मित्र थे, जो चालाक और स्वार्थी प्रवृत्ति के थे। वे युवराज की झूठी प्रशंसा करके अपना स्वार्थ सिद्ध करते थे।
एक बार सिपाहियों ने युवराज के मित्रों को अपराध करते हुए गिरफ्तार कर लिया। जब युवराज को इस बात का पता चला तो वे दौड़े-दौड़े सिपाहियों के पास पहुंचे और उनसे अपने मित्रों को छोड़ने के लिए कहा, लेकिन सिपाहियों ने उन्हें छोड़ने से इंकार कर दिया।
अपराधियों को अदालत में पेश किया गया।
युवराज अदालत में पहुंच कर प्रधान न्यायाधीश से अपने मित्रों को बिना मुकदमा की सुनवाई किए उन्हें छोड़ देने के लिए कहां।
प्रधान न्यायाधीश ने युवराज की बात को ठुकरा दिया। उन्होंने कहा, ‘‘मैं बिना सुनवाई किए किसी भी हालत में इन्हें नहीं छोड़ सकता हूं। यदि आपके मित्र दोषी न हुए तो उन्हें बाईज्जत बरी कर दिया जाएगा, अन्यथा वे सजा के भागीदार होगें।’’
यह सुनकर युवराज भड़क उठा। उन्होंने न्यायाधीश को भला बूरा कहा। युवराज का मानना था कि न्यायाधीश ने उसका अपमान करने के लिए ऐसा कहा हैं।
न्यायाधीश ने कहा, ‘‘यदि आप बिना सुनवाई के अपने मित्रों को छुड़ाना चाहते हैं तो इसके लिए सम्राट से निवेदन करना होगा।’’
यह सुनकर युवराज को और गुस्सा आ गया। वह न्यायाधीश की ओर झपटा। युवराज की हालत देखकर किसी में भी उसे रोकने की हिम्मत नहीं हुई। लेकिन युवराज जिस फुर्ती से न्यायाधीश की ओर बढ़ा था उतनी ही फुर्ती से वह अपनी जगह पर रूक गया। न्यायाधीश की गंभीरता को देखकर उनकी आगे बढ़ने की हिम्मत नहीं हुई।
न्यायाधीश ने युवराज से कहा, ‘‘आप युवराज हैं। आपको अदालत का सम्मान करना चाहिए। निकट भविष्य में आप इस देश के सम्राट बनने वाले है। सभी के सामने स्वयं को एक आर्दश के रूप में प्रस्तुत करना चाहिए। तभी आपकी प्रजा आपका सम्मान करेगी।’’
युवराज हेनरी ने अपनी गलती स्वीकार की और कहां, ‘‘मैंने अदालत का अपमान किया है और कानून व्यवस्था को बिगाड़ने की कोशिश की है। इसकी जो भी सजा है मुझे दिया जाएं।’’ उन्होंने न्यायाधीश से क्षमा मांगी और निकट भविष्य में ऐसा न करने का वचन दिया और स्वयं को अदालत के सामने समर्पण कर दिया।
गलती से तभी कुछ सीखा जा सकता है जब गलती को स्वीकार कर लिया जाएं। महान अल्बर्ट हबार्ड ने एक बार कहा था, असफल आदमी वह होता है जिसने बड़ी गलतियां तो की है, परंतु जो अपने अनुभव से कुछ भी नहीं सीख पाया है।
हम दुसरों की गलती से भी सबक ले सकते है। दुसरों की गलती से सबक लेना बहुत बड़ी बात है। दुसरों की गलती से सबक लेकर लक्ष्मी मित्तल ने इतना बड़ा एम्पायर खड़ा किया। उन्होंने बंद पड़ी स्टील कंपनियों को खरीदा और उसकी गलतियों का विशलेषण करके उन गलतियों को दूर किया।
उन्होंने ऐसी अनेक बंद पड़ी कंपनियों को खरीदा उन्हें पुनः शुरू कर भरपूर मुनाफा कमाना शुरू कर दिया। देखते ही देखते लक्ष्मी मित्तल अमीरी की श्रेणी में आ गये। आप भी गलतियों को स्वीकार करके और उन्हें दूर करके अमीर बन सकते है।
शिक्षा:- Prerak Kahaniya : गलती स्वीकारे
इस कहानी से शिक्षा मिलती हैं कि
• गलतियों से सीखें। गलती मान कर उसका विश्लेषण करें।
• अपनी गलती को स्वीकार कर उसे सुधार लेना चाहिए।
• भविष्य में उन गलतियों को न दोहराएं।
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