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Prerak Kahani | Nani ki Kahani | लोभ |
Prerak Kahani : Nani ki Kahani | लोभ | Apeksha Mazumdar
प्रेरक कहानी, Prerak Kahani | Nani ki Kahani | लोभ कहानी के माध्यम से समझाने की कोशिश की गई है कि कभी भी लोभ नहीं करना चाहिए। लोभ में पडकर इंसान विवेकहीन हो जाता है।
Prerak Kahani | Aparna Mazumdar
बात बहुत पुरानी हैं। राजा ऋषभदेव नहीं चाहते थे कि उनकी मृत्यु के पश्चात उनके पुत्रों में राज्य को लेकर कोई झगड़ा हो, क्योंकि उनके सौ पुत्र थे।
ऋषभदेव ने काफी विचार विमर्श के बाद अपने बड़े बेटे भरत को राजगद्दी देने और शेष पुत्रों को सन्यास ले लेने का आदेश दिया।
98 पुत्रों ने अपने पिता की इच्छाअनुसार सन्यास ले लिया, लेकिन एक पुत्र बाहुबली ने ऐसा करने से इंकार कर दिया और अपने बड़े भाई भरत के खिलाफ खड़ा हो गया।
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प्रेरक कहानी, Prerak Kahani | Nani ki Kahani | लोभ कहानी के माध्यम से समझाने की कोशिश की गई है कि कभी भी लोभ नहीं करना चाहिए। लोभ में पडकर इंसान विवेकहीन हो जाता है।
दोनों में विवाद बढ़ता देख राजा ने दोनों को अपनी-अपनी योग्यता का प्रमाण देने के लिए कहा। दोनों में राजनीति, धर्म, अर्थशास्त्र व शस्त्र विद्या में प्रतियोगिता करवाई गई।
इन प्रतियोगिताओं में निर्णायकों ने बाहुबली को श्रेष्ठ घोषित किया। इस प्रकार बाहुबली की जीत हुई और भरत हार गया।
भरत अपना हार मानने के लिए तैयार नहीं था। वह बाहुबली से ईष्र्या करने लगा। वह बाहुबली को नीचा दिखाने व हराने की फिराक में रहने लगा। Short Motivational Story In Hindi | Baccho ki Kahani | Nani ki Kahani | dadi ki kahani | moral stories in hindi | motivational story in hindi | motivational stories | motivational story in hindi | prerak prasang
भरत के मन में राजा बनने का लोभ प्रबल होता गया और एक दिन उसने बाहुबली पर प्राणघातक हमला कर दिया। बाहुबली जैसा नाम था वैसी ही उसमें शक्ति थी। उसने भरत के वार को नकामयाब कर दिया। भरत समझ गया कि अब उसका अंत निकट है, क्योंकि बाहुबली के एक ही प्रहार से वह धराशायी हो जाएगा।
लेकिन बाहुबली ने ऐसा नहीं किया। उसके विवेक ने उसे ऐसा करने से रोक दिया। वह शक्तिशाली होने के साथ बुद्धिमान भी था। उसने सोचा यदि भरत, राज्य के लोभ में विवेक शून्य व अधर्मी बन गया है। यदि मैंने भी ऐसा ही किया तो उसमें और मुझ में क्या फर्क रह गया।
बाहुबली ने उसी वक्त राज्य छोड़ने का फैसला किया और अपने भाई को राजा बनाकर सन्यासी हो गया।
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