Prerak Kahani : Lalach Mein Aakar Rishte-Naate Na Bhoolen | लालच में आकर रिश्ते-नातें ना भूलें

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Prerak Kahani : Lalach mein aakar rishte-naate na bhoolen

Prerak Kahani : Lalach Mein Aakar Rishte-Naate Na Bhoolen | लालच में आकर रिश्ते-नातें ना भूलें

प्रेरक कहानी लालच में आकर रिश्ते नातें ना भूलें कहानी में यह समझाने की कोशिश की गई है कि किस तरह लालच में आकर मनुष्य अपने पराये का भेद भूल जाते हैं। भाई-भाई का, दोस्त-दोस्त का, यहां तक पुत्र अपने पिता की हत्या करने से भी नहीं चुकता हैं। 

 
धन-दौलत, संपत्ति, उपलब्धियां, जागीर आदि को प्राप्त करने के लालच में व्यक्ति यह भूल जाता है कि यह सब तो चलायमान है। आज इसके पास तो कल उसके पास आता जाता रहता हैं।
 
बात काफी पुरानी हैं। अफगानिस्तान के एक छोटे से कस्बे में दो भाई रहते थे। एक दिन दोनों ने सोचा क्यों न दुसरे देश जाकर व्यापार किया जायें। जब ढेर सारा धन जमा हो जाएगा तो अपने घर लौट आएगें।


यह विचार आते ही दोनों भाई व्यापार के लिए घर से चल पड़े। रेगिस्तानी रास्ता चलते हुए काफी दिन बीत गए। 
 
चलते-चलते एक दिन रास्ते में उन्हें सोने के मोहरों से भरा हुआ एक थैला मिला। उन्होंने थैले में से मोहरों को निकाल कर गिना। उसमें दस हजार सोने की मोहरे थे। Baccho ki Kahani, dadi ki kahani, Motivational Story In Hindi, nani ki kahani, Prerak Kahani, prerak prasang, Moral Stories in Hindi, 
 
दस हजार मोहरे देखकर दोनों भाई काफी खुश हुए। बड़ा भाई बोला, ‘‘अब हमें कहीं जाने की आवश्यकता नहीं है। बिना कुछ किए ही हमें इतना धन मिल गया है। अब हमें यही से अपने घर वापस लौट चलना चाहिए।’’
 
बड़े भाई की बात से छोटा भाई भी सहमत हो गया। दोनों घर की तरफ चल पड़ें।
 
रास्ते में उन्हें जोरो की भूख लगी थी। छोटा भाई बोला, ‘‘गांव ज्यादा दूर नहीं है। चल कर पहले कुछ खा-पी लेते है।’’


‘‘नहीं, इतना धन लेकर गांव में जाना उचित नहीं हैं। तुम जाकर खाना ले आओ। मैं यही पर तुम्हारा इंतजार करता हूं।’’ बड़े भाई ने छोटे भाई को समझाते हुए कहा। Prerak Kahani : Lalach Mein Aakar Rishte-Naate Na Bhoolen | लालच में आकर रिश्ते-नातें ना भूलें
 
छोटा भाई खाना लेने चला गया। इधर दस हजार मोहरे देखकर बड़े भाई के मन में विचार आया, ‘‘हाय! इतना सारा धन यदि मुझे अकेले को मिलता तो कितना अच्छा होता…. लेकिन अब इस धन को छोटे भाई के साथ मिलकर आपस में आधा-आधा बांटना होगा। 
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बंटवारे में मुझे केवल पांच हजार ही सोने की मोहरे मिलेगें। मुझे कुछ ऐसा करना चाहिए जिससे यह सारा धन सिर्फ मेरा हो जाए। उसने तुरंत निर्णय ले लिया और अपने छोटे भाई का इंतजार करने लगा।
 
उधर छोटे भाई के मन में भी लालच आ गया। उसने सोचा, ‘बड़े भाई को रास्ते से हटाकर यदि सारा धन मैं ले लु तो…..’ यह विचार आते ही से उसने सखिया (एक प्रकार का जहर) लेकर खाने में मिला दिया।


रास्ते में वह सोचने लगा, ‘यदि बड़े भैया ने साथ में खाना खाने के लिए कहा, तो कह दूंगा, तुम पहले खा लो। मैं अभी थका हूं। बाद में खा लूंगा। खाना खाते ही उनकी मृत्यु हो जाएगी और सारा धन मेरा हो जाएगा। यदि घर पर किसी ने पूछा तो कह दूंगा, भैया की रास्ते में हैजे से मृत्यु हो गयी हैं।’
 
सोचते-सोचते छोटा भाई बड़े भाई के पास पहुंचा।
 
बड़ा भाई तो पहले से ही तैयार बैठा था। उसने छोटे भाई को आते देखा तो अपनी बंदूक उठा ली और उससे दो-तीन गोलियां दाग दी। छोटा भाई जमीन पर गिर पड़ा। उसके प्राण पखेरू उड़ गये।
 
छोटे भाई को मरा देखकर बड़ा भाई बहुत खुश हुआ। उसने सोचा, ‘बड़े जोर की भूख लगी है। पहले खाना खा लूं। फिर इसे यही रेत में गाड़ दूंगा।’’
 
बड़े भाई ने जैसे ही खाना खाया उसे चक्कर सा आने लगा। खाने में तीव्र जहर होने के कारण बड़े भाई की भी मृत्यु हो गयी।
 
लालच में आकर दोनों भाईयों ने आपस में ही एक-दुसरे को मार दिया। 
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शिक्षा:- Prerak Kahani : Lalach mein aakar rishte-naate na bhoolen | लालच में आकर रिश्ते-नातें ना भूलें

  • इस कहानी से शिक्षा मिलती है कि लालच बुरी बलां हैं, इसीलिए कभी लालच नहीं करना चाहिए।
  • लालच में आकर मनुष्य अपने पराये का भेद भूल जाते है। भाई-भाई का, दोस्त-दोस्त का, यहां तक पुत्र अपने पिता की हत्या करने से भी नहीं चुकता हैं। 
  • धन-दौलत, संपत्ति, उपलब्धियां, जागीर आदि को प्राप्त करने के लालच में व्यक्ति यह भूल जाता है कि यह सब तो चलायमान है। आज इसके पास तो कल उसके पास आता जाता रहता हैं।

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