Prerak Kahani | हंस और कौआ | Baccho ki Kahani | Apeksha Mazumdar

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Prerak Kahani | हंस और कौआ | Baccho ki Kahani | Apeksha Mazumdar

Prerak Kahani | हंस और कौआ | Baccho ki Kahani | Apeksha Mazumdar


Prerak Kahani | Aparna Mazumdar

तालाब के किनारे एक पेड़ पर काला कौआ रहता था। एक दिन तालाब के किनारे एक हंस को देखकर कौआ सोचने लगा, ‘वह कितना सफेद और मैं कितना काला हूं। वह दिखने में कितना सुंदर और मैं कुरूप। काश मैं भी हंस की तरह सफेद और सुंदर हो पाता।’

कौआ ने हंस से कहा, ‘‘हंस भाई, तुम कितने सुंदर हो। क्या मैं भी तुम्हारी तरह संुदर बन सकता हूं।’’

हंस बोला, ‘‘हां, यदि तुम भी मेरी तरह साफ सुथरा रहोगे तो सुंदर बन जाओगे।’’

‘‘इसके लिए मुझे क्या करना होगा।’’

‘‘तुम्हें वादा करना होगा कि आज से तुम सड़े गले भोज्य पदार्थ नहीं करोगे।’’

कौआ बोला, ‘‘मुझे मंजूर है।’’

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उसी वक्त से कौआ हंस के साथ रहने लगा। वह हंस के साथ उड़ते हुए जा रहा था, तभी उसकी नजर नीचे मरे हुए जानवर पर गई। उसके मुंह में पानी आ गया। हंस ने उसे टोका, लेकिन कौआ ने उसकी बात अनुसनी कर दी और नीचे उतर गया।

हंस बोला, ‘‘बुरा देखना, बुरा सुनना, बुरा खाना जब तक बंद नहीं करोगे, कभी सुंदर नहीं हो सकते हो।’’

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