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Laghu Katha | Rupay | Dr. M.K. Mazumdar | Hindi Short Stories |
Laghu Katha | Rupay | Dr. MK Mazumdar | Hindi Short Stories | लघुकथा
Laghu Katha-Dr. MK Mazumdar
‘रूपये’ डाॅ. एम.के. मजूमदार द्वारा लघुकथा संग्रह में से एक है। इनकी लघुकथाएं देश के विभिन्न पत्रिकाओं और पेपर में प्रकाशित हो चुकी है। कल और आज के परिवेश में काफी बदलाव आया है। हो सकता है कुछ लघुकथाएं वर्तमान समय में अटपटी लगे पर अनेक लघुकथाएं आज के सदंर्भ में भी उतनी ही सटीक बैठती हैं जितनी की उस वक्त. लघुकथा के परिवेश और काल को समझने के लिए प्रत्येक लघुकथा के लेखन के वर्ष को भी दर्शाया गया है जिससे पाठक उस काल को ध्यान में रखकर लघुकथा की गहराई को महसूस कर सकें। आप भी इन्हें पढ़े और अपने विचार कमेंट बाॅक्स में जरूर लिखें।
रूपये (Rupay)
‘‘मैंने रात में एक सपना देखा।’’ पत्नी ने कहा।
‘‘क्या देखा….?’’ पति ने पूछा।
‘‘हमें लाटरी में लाखों रूपयें का पुरस्कार मिला है ….. हमारी सारी गरीबी दूर ….. आलीशान बंगला …..टी.वी., कार, विडियों, फ्रीज, फर्श पर कालीन, रम की बोतलें, फैशनेबल कपड़े …….। काश! यह सच होता ……।’’
पत्नी आगे उसी लय में कहती गयी, ‘‘मेरे बाॅब कट बाल, नग्न बाहों का ब्लाउज ….. चुस्त कपड़े ….. हम क्लब जाते है। …. वहां मैं तुमसे अलग हो जाती हूं …… तुम मुुझ से …… मैं किसी दुसरे के गले में बाहें डालें नाचती हूं ……। वह मुझे चुमता है, मैं उसे ……. इसी तरह तुम और किसी के साथ …….।’’
‘‘चुप हो जाओ ….. इसे सपना ही रहने दो …… हमें नहीं चाहिए इतने रूपये ……. की तुम्हें किसी दूसरे की बाहों में जाना पड़े …….. न मुझे।’’ कहते हुए उसने पत्नी को अपनी बाहों में खींच लिया।…………. More (1979)
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