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लघुकथाएं | Hindi Short Stories | निश्चिंत | Dr. M.K. Mazumdar | laghu katha |
लघुकथाएं | Hindi Short Stories | निश्चिंत | Dr. M.K. Mazumdar | laghu katha
Laghu Katha (1990) | Dr. MK Mazumdar
‘निश्चिंत’ डाॅ. एम.के. मजूमदार द्वारा लघुकथा संग्रह में से एक है। इनकी लघुकथाएं देश के विभिन्न पत्रिकाओं और पेपर में प्रकाशित हो चुकी है। कल और आज के परिवेश में काफी बदलाव आया है। हो सकता है कुछ लघुकथाएं वर्तमान समय में अटपटी लगे पर अनेक लघुकथाएं आज के सदंर्भ में भी उतनी ही सटीक बैठती हैं जितनी की उस वक्त. लघुकथा के परिवेश और काल को समझने के लिए प्रत्येक लघुकथा के लेखन के वर्ष को भी दर्शाया गया है जिससे पाठक उस काल को ध्यान में रखकर लघुकथा की गहराई को महसूस कर सकें। आप भी इन्हें पढ़े और अपने विचार कमेंट बाॅक्स में जरूर लिखें।
निश्चिंत
‘‘बाबूजी, कुछ खाने को दीजिए … … दो दिनों से भूखा हूं ….।’’ वह हाथ फैला कर गिड़गिड़ा रहा था।
‘‘आगे बढ़ ….।’’
‘‘बाबूजी …..।’’ वह फिर गिड़गिड़ाया।
‘‘आगे बढ़…… ।’’
वह गिड़गिड़ाता रहा और वे ‘आगे बढ़ कह रहे थे’।
‘‘मैं कहता हूं आगे बढ़ ……।’’ वे गुस्से से चीख पड़े।
कोई अन्तर नहीं।
‘‘बाबूजी….।’’
उसने दराज में रखी पिस्तौल निकाली और दाग दिया।
……… धाॅय।
‘‘ले कुछ खाने को ……।’’
वह गिर कर तड़पने लगा।
अब वे निश्चिंत थे। ………… More
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