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Laghu Katha |ehsas| Dr. M.K. Mazumdar | Hindi Short Stories | लघुकथाएं |
Laghu Katha | Dr. MK Mazumdar | Hindi Short Stories | लघुकथा | एहसास
Laghu Katha-Dr. MK Mazumdar
‘एहसास’ डाॅ. एम.के. मजूमदार द्वारा लघुकथा संग्रह में से एक है। इनकी लघुकथाएं देश के विभिन्न पत्रिकाओं और पेपर में प्रकाशित हो चुकी है। कल और आज के परिवेश में काफी बदलाव आया है। हो सकता है कुछ लघुकथाएं वर्तमान समय में अटपटी लगे पर अनेक लघुकथाएं आज के सदंर्भ में भी उतनी ही सटीक बैठती हैं जितनी की उस वक्त. लघुकथा के परिवेश और काल को समझने के लिए प्रत्येक लघुकथा के लेखन के वर्ष को भी दर्शाया गया है जिससे पाठक उस काल को ध्यान में रखकर लघुकथा की गहराई को महसूस कर सकें। आप भी इन्हें पढ़े और अपने विचार कमेंट बाॅक्स में जरूर लिखें।
एहसास
बस की पूरी सीट भरी थी। दो-तीन सवारी खड़ी भी थी। मैं भी खड़ा था। बरबस जहां मैं खड़ा था बगल वाली सीट के बूढ़े देहाती यात्री से मेरी निगाह मिली और वह खड़ा हो गया।
‘‘क्या आप उतरेंगे?’’ मैंने उस यात्री से पूछा।
‘‘नहीं … साहब आप बैठ जायें।’’
‘‘बाबा ….. आप बैठ जायें। आपको तकलीफ होगी….।’’ पिता के बराबर उम्र के बूढ़े को इस तरह मेरे लिए सीट छोड़ना, मुझे अच्छा न लगा।
‘‘आप …. साहब हैं, आपको तकलीफ होगी …. हम गरीब देहाती, हर तरह की परेशानी झेल लेते हैं।’’ वह मेरे पैर के सामने खाली जगह पर पसर कर बैठ गया।
‘‘तुम्हें कैसे मालूम पड़ा, मैं साहब हूं।’’ मैंने उससे पूछा।
‘‘ …. गले में यह जो बांधे हो ….।’’ बूढ़े ने टाई की ओर इशारा किया।
मुझे लगने लगा गले में लगी टाई टाइट हो गयी हो। ऊपर की श्वास ऊपर नीचे की नीचे रह गयी हो। उसके द्वारा छोड़ी गयी सीट गर्म तवे सी महसूस हो रही थी।……….. More (1983)
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