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Laghu Katha | Aaj Bhi | Dr. M.K. Mazumdar | Hindi Short Stories |
Laghu Katha | आज भी | Dr. MK Mazumdar | Hindi Short Stories
Laghu Katha-Dr. MK Mazumdar
‘आज भी’ डाॅ. एम.के. मजूमदार द्वारा लघुकथा संग्रह में से एक है। इनकी लघुकथाएं देश के विभिन्न पत्रिकाओं और पेपर में प्रकाशित हो चुकी है। कल और आज के परिवेश में काफी बदलाव आया है। हो सकता है कुछ लघुकथाएं वर्तमान समय में अटपटी लगे पर अनेक लघुकथाएं आज के सदंर्भ में भी उतनी ही सटीक बैठती हैं जितनी की उस वक्त. लघुकथा के परिवेश और काल को समझने के लिए प्रत्येक लघुकथा के लेखन के वर्ष को भी दर्शाया गया है जिससे पाठक उस काल को ध्यान में रखकर लघुकथा की गहराई को महसूस कर सकें। आप भी इन्हें पढ़े और अपने विचार कमेंट बाॅक्स में जरूर लिखें।
आज भी
रिक्शे पर पैडिल मारता वह सड़क पर बढ़ा चला जा रहा था।
काफी देर से कोई सवारी नहीं मिली, दो बज चुके हैं अगर चार बजे तक पन्द्रह और नहीं बने तो …….. इस बार भी नाज़िया हसन का डिस्को डांस न देख पायेगा। …… रात से पेट में कुछ नहीं गया….. कुछ खाकर पानी पी लेना चाहिए ……. नहीं ……. ऐसे ही टिकट के पचास रूपयों में पन्द्रह कम है ……. उसी समय उसे ध्यान आया, अपना रिक्शा मालिक उधार देता है ……. सिर्फ पांच रूपये सैकड़ा रोज ब्याज लेता है … वहीं चलते है ….. धत्त तेरी की …… मैं दिन भर से बेकार ही परेशान था। यह बात पहले दिमाग में क्यों नहीं आयी।’’
उसके पैर पैडिल पर तेजी से चलने लगे।……….. More (1985)
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