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Laghu Katha | अन्डर | Dr. M.K. Mazumdar | Hindi Short Stories | लघुकथाएं |
Laghu Katha | अन्डर| Dr. MK Mazumdar | Hindi Short Stories | लघुकथाएं
Laghu Katha (1982) | Dr. MK Mazumdar
‘अन्डर’ डाॅ. एम.के. मजूमदार द्वारा लघुकथा संग्रह में से एक है। इनकी लघुकथाएं देश के विभिन्न पत्रिकाओं और पेपर में प्रकाशित हो चुकी है। कल और आज के परिवेश में काफी बदलाव आया है। हो सकता है कुछ लघुकथाएं वर्तमान समय में अटपटी लगे पर अनेक लघुकथाएं आज के सदंर्भ में भी उतनी ही सटीक बैठती हैं जितनी की उस वक्त. लघुकथा के परिवेश और काल को समझने के लिए प्रत्येक लघुकथा के लेखन के वर्ष को भी दर्शाया गया है जिससे पाठक उस काल को ध्यान में रखकर लघुकथा की गहराई को महसूस कर सकें। आप भी इन्हें पढ़े और अपने विचार कमेंट बाॅक्स में जरूर लिखें।
अन्डर
‘‘कान खोल कर सुन लो ….. जल्द इसका आपरेशन नहीं हुआ तो …. फिर पछताना पड़ेगा ….। पूरे चार हजार रूपये लगेंगे ….। सरकारी खर्च के भरोसे रहे तो गये काम से ….. समझे …..। तुम रोज कह देते हो। इंतजाम कर रहा हूं…..।’’ डा. गुप्ता ने मरीज के पिता से कहा।
डाक्टर साहब ……. मैंने इन्तजाम कर लिया है …… दूसरे वाले साहब को आज सुबह ही दे दिया है।’’
‘‘क्या ….. डाक्टर मुखर्जी को ……।’’
कुछ सोचने के बाद डा. गुप्ता ने कहा, ‘‘तुम उनसे कल सुबह रूपयें मांग लेना ……। कहना मैं डा. गुप्ता से आपरेशन करवाऊगा …… केस मेरे अन्डर में है। ….. रूपये मुझे मिलने चाहिए …..। रूपये अगर मुझे न मिले तो मैं आपरेशन नहीं होने दूंगा ……।’’ इतना कह कर डा. गुप्ता आगे बढ़ गये।………. more
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