Inspirational Short Stories : Moral Stories In Hindi | बुद्धि की परीक्षा

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Inspirational Short Stories : Moral Stories In Hindi | बुद्धि की परीक्षा

Prerak Kahani | Aparna Mazumdar

बहुत पुरानी बात है। एक बार रोहिल नाम का नट अपने पिता के साथ उज्जैन में खेल तमाशा दिखाने आया था। उसके पिता उसे शिप्रा नदी के किनारे बैठाकर पास के गांव में खाना लेने गए हुए थे।

रोहिल अपना समय काटने के लिए नदी के रेत पर उज्जैन नगरी का नक्शा बनाने लगा। तभी वहां उज्जैन के महाराज अपने घोड़े पर सवार होकर आए। उन्हें देखकर रोहिल बोला, ‘‘जरा संभल कर, यहां राजमहल है।’’

रोहिल की बात सुनकर महाराज को आश्चर्य हुआ। उन्होंने पूछा, ‘‘तुमने यह क्या बनाया है।’’

रोहिल बोला, ‘‘यह उज्जैन नगरी है और यह हमारे राजा का महल है। यह बाजार, कोतवाली, बाग-बगीचे और ये मंदिर हैं।’’
राजा ने ध्यान से देखा तो सबकुछ सही-सही बना हुआ था। रोहिल द्वारा रेत पर उज्जैन का नक्शा देखकर राजा उसके कार्यकुशलता से बहुत खुश हुए। उन्होंने उसे अपना मंत्रि बनाने का निश्चय किया, लेकिन उसके पहले वे उसकी बुद्धि की ओर परीक्षा लेना चाहते थे। 

राजा ने रोहिल से उसका नाम, गावं आदि का पता पूछ कर चले गए। 

कुछ दिनों बाद राजा ने नटो की बस्ती में संदेश भेंजवाया कि मैं बहुत जल्दी ही वहां आने वाला हूं। मेरे लिए ऐसा मंडप बनाना, जिसका छाजन वह शिला हो, जो तुम्हारी बस्ती के बाहर पड़ा है। वहां एक सिंहासन भी रखवा देना। आज्ञा का पालन हो।

नटो की बस्ती में खलबली मच गई। लेकिन रोहिल परेशान नहीं हुआ। उसने कुछ मजदूरों की मदद से बस्ती के बाहर पड़े शिला के आस-पास की मिट्टी खुदवानी शुरू कर दी। खुदाई के साथ-साथ वह खाली जगहों पर मजबूत खंभे भी लगवाता गया। 

अंत में शिला के नीचे की पूरी मिट्टी खुद गई और शिला खंभों के सहारे वहां खड़ी हो गई। इस प्रकार शिला के नीचे एक मंडप बन गया। रोहिल ने वहां एक सिंहासन भी रखवा दिया। 

ठीक समय पर राजा वहां आए। उन्होंने जब मंडप देखा तो पूछा, यह किसने बनाया है। नटो के मुखिया ने रोहिल का नाम बता दिया। Inspirational Short Stories : Moral Stories In Hindi | बुद्धि की परीक्षा


कुछ दिनों बाद राजा ने खबर भेंजवाया। कुत्ते को बिना किसी कुत्ते के लड़वा दो।

नटो में एक बार फिर खलबली मच गई। रोहिल ने एक बड़ा सा आईना लाकर कुत्ते के सामने रख दिया। कुत्ता अपनी ही छवि देखकर उससे लड़ पड़ा। रोहिल की इस चतुराई का समाचार राजा तक पहुंचा दिया गया। 

राजा ने इस बार संदेश भेंजवाया कि बस्ती के पास बहने वाली नदी की रेत से एक मोटी रस्सी बनाकर राजमहल भेंजवा देंइस बार नट फिर घबरा गए, लेकिन रोहिल ने दूत से कहा, ‘‘महाराज से कहना, हम लोग खेल-तमाशे करना जानते हैं, रस्सी बनाना हम क्या जानें। यदि महाराज अपने यहां से थोड़ी सी रेत की रस्सी नमूने के रूप में भेंजवा दें तो उसे देखकर हम वैसी ही रस्सी बुनकर दे देंगे।

दूत के मुंह से यह जवाब सुनकर राजा बहुत खुश हुए। उन्होंने कुछ दिनों बाद फिर संदेश भेंजवाया, तुम्हारे बस्ती में जो मीठे पानी का कुंआ हैं उसे राजमहल भेंजवा दो।

इस बार फिर रोहिल ने दूत से कहा, महाराजा से कहना हमारा कुंआ बहुत डरपोक है। उसे अकेले जाने में डर लग रहा है। यदि महाराज अपने कुएं को यहां भेंज दें तो वह उसे अपने साथ ले जा सकता है।

रोहिल का जवाब सुनकर राजा को उसके बुद्धिमानी पर भरोसा हो गया। उन्होंने उसे अपने राजदरबार में बुलावा भेंजा, तुम ऐसे समय पर आना, जब दिन हो न रात, न उजाला हो और न ही अंधेरा, न छाया हो और न ही धूप, न ही भेंट लेकर आओ और न ही खाली हाथ।

रोहिल अमावस और पारवा के संधिकाल के दिन गोधूलि लग्न में सिर पर छलनी का छाता लगाकर राजदरबार में पहुंचा। उसने राजा को भेंट स्वरूप गांव की मिट्टी देते हुए बोला, ‘‘महाराज यह आपके ही राज्य का एक छोटा-सा टुकड़ा है। कृपया इसे स्वीकार कीजिए।’’

रोहिल की बातें सुनकर राजा दंग रह गए। 

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