लघुकथाएं | Hindi Short Stories | दृष्टि | Dr. MK Mazumdar | laghu katha

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Laghu Katha (1980) | Dr. MK Mazumdar

‘दृष्टि’ डाॅ. एम.के. मजूमदार द्वारा लघुकथा संग्रह में से एक है। इनकी लघुकथाएं देश के विभिन्न पत्रिकाओं और पेपर में प्रकाशित हो चुकी है। कल और आज के परिवेश में काफी बदलाव आया है। हो सकता है कुछ लघुकथाएं वर्तमान समय में अटपटी लगे पर अनेक लघुकथाएं आज के सदंर्भ में भी उतनी ही सटीक बैठती हैं जितनी की उस वक्त. लघुकथा के परिवेश और काल को समझने के लिए प्रत्येक लघुकथा के लेखन के वर्ष को भी दर्शाया गया है जिससे पाठक उस काल को ध्यान में रखकर लघुकथा की गहराई को महसूस कर सकें। आप भी इन्हें पढ़े और अपने विचार कमेंट बाॅक्स में जरूर लिखें।

दृष्टि

दुकानदार ने जब एक के सिक्के से एक चाय के पचास पैसे काट कर पचास पैसे लौटाये तो मैंने टोका, ‘‘सेठ जी, अली हसन, के यहां चाय चालीस पैसे में मिल जाती है …. आप पचास पैसे काट रहे हो …..’’

‘‘वह मुसलमान की दुकान है।’’ हिंदु दुकानदार ने कहा।

‘‘तो क्या हुआ ….?’’

दुकानदार ने तेवरी चढ़ा कर कहा, ‘‘कल अगर कोई मेहतर चाय की दुकान खोल कर बैठ जाये और वह तीस पैसे में चाय देने लगे तो क्या, वहां चाय पीओंगें?’’

दुकानदार की बात सुनकर उसके दुकान की चाय मेरे पेट मे तेजी से खोलती हुयी लगी।……….. More

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