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Baccho ki Kahani | हाथी और सियार | Prerak Kahani |
Baccho ki Kahani | हाथी और सियार | Prerak Kahani | Apeksha Mazumdar
Prerak Kahani | Aparna Mazumdar
वन में एक मोटे ताजे हाथी को देखकर सियार के मुंह में पानी आ गया। उसने मन ही मन सोचा, ‘यदि में इस हाथी का शिकार कर लूं तो कई महिनों तक इसे बैठ कर खा सकता हूं। वह हाथी के पास जाकर बोला, ‘‘हाथी दादा, वन के सभी प्राणियों ने फैसला किया है कि तुम्हें इस वन का राजा बना दिया जाएं।’’
राजा बनने की खुशी में हाथी ने यह भी नहीं सोचा कि जंगल के जानवरों ने यदि उसे राजा बनाने का निश्चिय किया है तो केवल यह खबर सुनाने के लिए सियार को ही क्यों भेंजा। वह खुशी से झूमते हुए बोला, ‘‘मैं तैयार हूं।’’
अपने जाल में फंसता देख सियार ने कहा, ‘‘लेकिन इसके लिए तुम्हें तालाब के जल में स्नान करना होगा।’’
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सियार, हाथी को लेकर एक ऐसे तालाब में गया जहां दलदल था। हाथी मस्ती से झूमता हुआ तालाब में नहाने के लिए उतर गया।दलदल होने के कारण वह धस गया। उसने सियार से कहा, ‘‘यह तुम मुझे कहा ले आएं।’’
सियार हंसते हुए बोला, ‘‘यहा दलदल हैं और तुम उसमें फंस गए हो और जल्दी ही मरने वाले हो।’’
हाथी घबरा गया। वह बाहर निकलने की जितनी कोशिश करता उतना ही अंदर धस जाता। अंत में हाथी की मौत हो गई। हाथी को खाने के लालच में सियार उसके पीठ पर चढ़ गया। लेकिन धीरे-धीरे वह भी दलदल में धस गया और उसकी भी मौत हो गई। इसीलिए कहते है जो दुसरे के लिए कुंआ खोदता हैं वे स्वयं ही उसमें गिरते है।
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