Prerak Kahani : दूसरों की मदद | True Motivational Stories In Hindi | Aparna Mazumdar

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Prerak Kahani | Aparna Mazumdar

तेरहवीं सदी में गोलकुंडा के संत दामाजी का नाम दक्षिण भारत में विख्यात था। वहां के बादशाह ने उन्हें अपने अनाज के भंडार की देखरेख में रख लिया।

एक बार वहां भीषण अकाल पड़ा। चारों ओर लोग भूख से तड़पने लगे। लोगों की यह दुर्दशा दामाजी से देखा नहीं गया। उन्होंने अनाज के भंडार लोगों के लिए खोल दिया। भूखे लोग दामाजी से अनाज ले जाने लगे।


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दामाजी के सहायक ने बादशाह से उसकी शिकायत कर दी। बादशाह ने तुरंत दामाजी को गिरफ्तार करने का आदेश दे दिया। 

तभी बादशाह के पास एक व्यक्ति आया। उसने कहा, ‘‘महाराज, दामाजी ने भूखे गरीबों को अनाज देकर मदद की है, मैं उस अन्न का दाम देने आया हूं।’’

बादशाह ने उसे खजांची के पास भेंज दिया।

वह व्यक्ति खजांची के पास गया और उससे खाली थैली मांगी। खजांची जो भी खाली थैली देता वह व्यक्ति उसे सोने के सिक्कों से भर देता। धन लेते-लेते खजांची थक कर चूर हो गया। उसने कहा, ‘‘आपका हर्जाना पूरा हो गया हैं।’’

बादशाह को जब इस बात का पता चला तो वे भागे-भागे दामाजी के पास गए और उनसे क्षमा मांगी। बादशाह जान गए कि जो दूसरों की मदद करते है भगवान भी उनकी मदद करते है।

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