Short story on great leaders and their moral stories | Prerak Kahani
यह घटना उस समय की है जब सरदार वल्लभ भाई छठवीं कक्षा में पढ़ते थे। उनके स्कूल में एक अध्यापक बहुत ही गुस्से मिजाज के थे। वे बात-बात पर बच्चों को अकारण ही छड़ी से मारते थे।
स्कूल के अन्य शिक्षकों ने भी उस अध्यापक से इस तरह बच्चों को मारने से मना किया, लेकिन अध्यापक को इसका कोई असर नहीं हुआ।
एक दिन अध्यापक ने निर्दोष विद्यार्थी को बेवजह दंड दे दिया। उन्होंने छड़ी से उस लड़के की खूब पिटाई की। यह देखकर वल्लभ भाई पटेल को गुस्सा आ गया। उन्होंने स्कूल के सभी विद्यार्थी को एकत्रित किया और उस अध्यापक के खिलाफ कार्यवाही करने का निश्चय किया।
उन सभी ने कसम खाई की जब तक अध्यापक अपने किए के लिए माफी नहीं मांग लेंगे कोई भी विद्यार्थी स्कूल नहीं जाएगा। विद्यार्थियों ने स्कूल जाना बंद कर दिया।
स्कूल के सभी अध्यापकों, प्रधानाचार्य व समिति के सदस्यों ने पूरी कोशिश की कि विद्यार्थी फिर से स्कूल आने लगे, लेकिन विद्यार्थी टस से मस नहीं हुए।
उन्होंने साफ-साफ कह दिया कि जब तक अध्यापक बच्चों से वादा नहीं करेंगे कि स्कूल में बेवजह किसी छात्र को पीटा नहीं जाएगा तब तक वे स्कूल में नहीं आएगें।
अध्यापकों ने सरदार वल्लभ भाई को अनुशानहीनता के लिए सभी से माफी मांगने के लिए कहा।
सरदार वल्लभ भाई पटेल ने पूरे आत्मविश्वास के साथ कहा, ‘‘मैं किसी गलत उद्धेश्य के लिए नहीं कर रहा हूं। मेरी भावना पवित्र हैं और अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठाने में कोई बुराई नहीं हैं।’’
सरदार वल्लभ भाई पटेल का जवाब सुनकर सभी अध्यापक चुप हो गए।
आखिर में संचालक ने सभी विद्यार्थियों से वादा किया कि भविष्य में कोई भी अध्यापक किसी छात्र को दंडित नहीं करेगे।
संचालक के वादा करने के बाद ही विद्यार्थी स्कूल में पढ़ने के लिए गए।
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