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लघुकथाएं | Hindi Short Stories | समझ | Dr. M.K. Mazumdar | laghu katha |
लघुकथाएं | Hindi Short Stories | समझ | Dr. M.K. Mazumdar | laghu katha
Laghu Katha (1984) | Dr. MK Mazumdar
‘समझ’ डाॅ. एम.के. मजूमदार द्वारा लघुकथा संग्रह में से एक है। इनकी लघुकथाएं देश के विभिन्न पत्रिकाओं और पेपर में प्रकाशित हो चुकी है। कल और आज के परिवेश में काफी बदलाव आया है। हो सकता है कुछ लघुकथाएं वर्तमान समय में अटपटी लगे पर अनेक लघुकथाएं आज के सदंर्भ में भी उतनी ही सटीक बैठती हैं जितनी की उस वक्त. लघुकथा के परिवेश और काल को समझने के लिए प्रत्येक लघुकथा के लेखन के वर्ष को भी दर्शाया गया है जिससे पाठक उस काल को ध्यान में रखकर लघुकथा की गहराई को महसूस कर सकें। आप भी इन्हें पढ़े और अपने विचार कमेंट बाॅक्स में जरूर लिखें।
समझ
‘‘शर्मा जी, गर्मी में देहरादून जा रहे हैं ……।’’ पत्नी ने खबर दी।
‘‘अच्छा ….।’’
पति का रूखापन देख पत्नी बोली, ‘‘हमें भी चलना चाहिए।’’
‘‘…….।’’
‘‘शर्मा जी, क्या आप से ज्यादा कमाते हैं …. अपनी भी समाज में क्रेडिट होनी चाहिए।’’
‘‘मगर कैसे, … इतने कम वेतन में …… कैसे क्रेडिट बने।’’
‘‘जैसे सब करते हैं……….।’’
‘‘वह क्या ……?’’
पत्नी ने मुस्कराकर कहा, ‘‘कल से नाश्ता बंद … दोपहर, रात सिर्फ रोटी दाल चलेगी ….. मेहमान नवाजी खत्म करों …..।’’
पति ने पत्नी के पंजे से अपना पंजा फंसा दिया और तेज हंसते हुए कहा, ‘‘तुम्हारा भी जवाब नहीं ….. हम देहरादून नहीं शिमला जायेगें।’’
पति-पत्नी की हंसी कमरे में गूंज रही थी।……… More
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