प्रेरक कहानी : हड़ताल | Hadtal | Hindi Short Stories | prerak-kahani-hadtal-mk-majumdar

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प्रेरक कहानी : हड़ताल | Hadtal | Hindi Short Stories

 

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Prerak Kahani | Aparna Mazumdar

एक दिन शरीर के सभी अंगों में झगड़ा छिड़ गया। शरीर के अंगों में दो गुट बन गया। हाथ, पैर, मुंह, दांत एक गुट में और दूसरे गुट में शरीर के अंदर रहने वाले किडनी, दिल और फेफड़ा।
हाथ बोला, ‘‘मैं सारा दिन मेहनत करता हूं और बाकी सभी आराम से अच्छी-अच्छी चीजें खाते है।’’
पैरों ने कहा, ‘‘तुम सच कह रहे हो, हम शरीर के लिए दौड़ धूप करते हैं।’’
दांतों ने कहा, ‘‘तुम से ज्यादा तो परेशान मैं रहता हूं। मुझे तो दिनभर कुछ न कुछ चबाते ही रहना पड़ता है। चबाते-चबाते मेरा तो सारा बदन दुखने लगता हैं।’’ प्रेरक कहानी : हड़ताल | Hadtal | Hindi Short Stories | prerak kahani hadtal mk majumdar, Short Motivational Story In Hindi, Hindi Short Stories, Motivational Story In Hindi, motivational stories for employees, 

दांत की बात सुनकर जीभ बोली, ‘‘तुमसे ज्यादा तो परेशान मैं हूं, कभी मिर्च तो कभी कड़वा, कभी ठण्डा तो कभी गर्म मेरा तो सारा बदन ही जल सा जाता हैं, लेकिन इससे किसी को क्या फर्क पड़ता है।’’

दिल बोला, ‘‘चुप रहो, आज तुम लोग किस तरह की बातें कर रहे हो। तुम लोग तो दिन में ही काम करते हो, लेकिन मैं तो रात में भी जागकर अपना काम करता हूं। यह मत भूलो की जब तुम सभी काम करते हो मैं भी तुम सभी की मदद करता हूं।’’

फेफड़ा बोला, ‘‘तुम लोग तो बस खाते-पीते

रहते हो, लेकिन मैं तो सिर्फ हवा खाकर

जिंदा रहता हूं।’’

किडनी बोली, ‘‘तुम तो सिर्फ खाना खाकर फुसर्त हो जाते हो, लेकिन मुझे तो उसमें से तुम सभी के लिए पोषक तत्व का चुनाव करना होता है। यदि मैंनें अपना काम बंद कर दिया तो तुम सभी बीमारी पड़ जाओगें।’’

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‘‘ऐसी बात हैं, कल से हम खाने के खोज में नहीं जाएगें।’’ पैर ने ताव दिखाते हुए कहा।

दांत बोला, ‘‘मैं भी एक दाना नहीं चबाऊगा।’’

‘‘मैं भी हड़ताल कर देता हूं। कल से मैं भी कुछ नहीं खाऊंगा।’’ मुंह ने अपना फैसला सुनाया।

अगले दिन से हाथ, पैर, मुंह ने अपना काम करना बंद कर दिया। उनकी देखा-देखी किडनी ने भी अपना काम करना बंद कर दिया। 

जिसके परिणाम स्वरूप शरीर के सभी अंग कमजोर होने लगे। हाथ और पैर तो अपने जगह से हिलने में भी असमर्थ थे। 

शरीर की दुर्दशा देखकर मस्तिष्क ने सभी को डांटते हुए कहां, ‘‘हड़ताल करने से दूसरे का नहीं अपना भी नुकसान होता हैं। सभी को अपना-अपना काम करते रहना चाहिए, उसी में सभी की भलाई हैं।’’

मस्तिष्क की बात सुनकर सभी फिर से काम करने लगे और जल्दी ही स्वस्थ हो गए। उन्होंने वादा किया की फिर कभी आपस में झगड़ा नहीं करेंगे।

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