प्रेरक कहानी : सोने की कुल्हाड़ी | Motivational Story in Hindi | Apeksha Mazumdar
Prerak Kahani | Aparna Mazumdar
एक लकड़हारा था। एक दिन वह जंगल में लकड़ी काटने गया। सूखे लकड़ी की तलाश में वह इधर-उधर भटकते हुए एक नदी के पास पहुंच गया। वहा उसे कुछ सुखे हुए झाड़ दिखाई दिए।
लकड़हारा उन झाड़ियों को कुल्हाड़ी से काटने लगा, लेकिन तभी उसके हाथ से कुल्हाड़ी नदी में गिर गई। लकड़हारा उदास हो गया। उसे तैरना नहीं आता था। अब वह नदी से अपनी कुल्हाड़ी कैसे बाहर निकाले। कुल्हाड़ी ही उसकी आजीविका का साधन थी। वह वही बैठकर रोने लगा।
तभी नदी से जलदेवी बाहर आई और उसने लकड़हारे से रोने का कारण पूछा।
प्रेरक कहानी | सोने की कुल्हाड़ी | motivational story in hindi | Apeksha Mazumdar | Prerak Kahani, Prerak Kahaniya, prerak prasang, Inspirational Short Stories, Baccho ki Kahani, Moral Stories in Hindi, dadi ki kahani, dadi ki kahani,
लकड़हारे ने जलदेवी से अपनी कुल्हाड़ी वापस मांगी।
जलदेवी पानी के अंदर से एक चांदी की कुल्हाड़ी लाकर बोली, ‘‘क्या यह कुल्हाड़ी तुम्हारी है?’’
लकड़हारा बोला, ‘‘यह कुल्हाड़ी मेरी नहीं हैं।’’
जलदेवी दोबारा एक सोने की कुल्हाड़ी लेकर आई, लकड़हारे ने उसे भी लेने से इंकार कर दिया।
प्रेरक कहानी | सोने की कुल्हाड़ी | motivational story in hindi | Apeksha Mazumdar | Prerak Kahani, Prerak Kahaniya, prerak prasang, Inspirational Short Stories, Baccho ki Kahani, Moral Stories in Hindi, dadi ki kahani, dadi ki kahani,
जलदेवी बोली, ‘‘इसे ही रख लो।’’
लकड़हारा बोला, ‘‘देवी, यह सोने की कुल्हाड़ी है। इससे मैं लकड़ी कैसे काटूगा। आप मुझे मेरी लोहे की कुल्हाड़ी वापस दे दीजिए।’’
लकड़हारे की ईमानदारी से जलदेवी खुश हो गई और उसने लकड़हारे को तीनों कुल्हाड़ी दे दी।
लकड़हारा खुशी-खुशी अपने घर चला गया।
उसके पड़ोसी को जब इस बात का पता चला तो उसके मन में लालच आ गया। वह दुसरे दिन सुबह उठ कर अपनी कुल्हाड़ी लेकर नदी किनारे पहुंच गया।
प्रेरक कहानी | सोने की कुल्हाड़ी | motivational story in hindi | Apeksha Mazumdar | Prerak Kahani, Prerak Kahaniya, prerak prasang, Inspirational Short Stories, Baccho ki Kahani, Moral Stories in Hindi, dadi ki kahani, dadi ki kahani,
उसने जानबुझ कर अपनी कुल्हाड़ी नदी पर फैंक दी और जोर-जोर से रोने लगा।
उसके रोने की आवाज़ सुनकर जलदेवी प्रकट हुई। उसने रोने का कारण पूछा, तो उस व्यक्ति ने अपनी कुल्हाड़ी वापस मांगी।
जलपरी ने लोहे की कुल्हाड़ी उसे वापस लाकर दी तो वह बोला, ‘‘नहीं… नहीं यह मेरी कुल्हाड़ी नहीं हैं।’’
जलपरी ने चांदी की कुल्हाड़ी दी तो वह व्यक्ति बोला, ‘‘मेरी रत्नजड़ित सोने की कुल्हाड़ी थी।’’
प्रेरक कहानी | सोने की कुल्हाड़ी | motivational story in hindi | Apeksha Mazumdar | Prerak Kahani, Prerak Kahaniya, prerak prasang, Inspirational Short Stories, Baccho ki Kahani, Moral Stories in Hindi, dadi ki kahani, dadi ki kahani,
व्यक्ति का बात सुनकर जलदेवी समझ गई कि वह व्यक्ति लालची है। वह चली गई।
व्यक्ति सुबह से शाम तक बैठा-बैठा जलपरी के आने का इंतजार करता रहा, लेकिन जलदेवी दोबारा नहीं आई। व्यक्ति ने लालच में आकर अपनी लोहे की कुल्हाड़ी भी खो दी थी।
Business Mantra | बिजनेस से संबंधित जानकारी के लिए यहां क्लिक करें
Laghu katha | लघुकथा पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
Prerak Kahani | प्रेरक कहानी पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
(Copyright: All Rights Aparna Mazumdar)
#prerak_kahani #prerakkahani #motivationalstoryinhindi #motivational_story_in_hindi #प्रेरककहानी