प्रेरक कहानी : चांद और सूरज | Baccho ki Kahani

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प्रेरक कहानी : चांद और सूरज | Baccho ki Kahani

प्रेरक कहानी : चांद और सूरज | Baccho ki Kahani | Apeksha Mazumdar


Prerak Kahani | Aparna Mazumdar

एक गांव में एक बुढ़िया रहती थी। वह बहुत गरीब थी। उसके दो बेटे थे चांद और सूरज। 

एक दिन गांव के जमींदार के बेटे की शादी थी। शादी की खुशी में जमीदार ने गांव के सभी अमीर-गरीब को अपने यहां भरपेट दावत के लिए बुलाया था।
बुढ़िया के दोनों बच्चे भी जमीदार के घर दावत पर जाने की जिद्द करने लगे।

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बुढ़िया ने उन्हें भी अच्छे कपड़े आदि पहनाकर तैयार किया और पड़ोसियों के साथ जमीदार के घर पर भेंज दिया।

जमीदार के घर पर जैसे ही खाना परोसा गया, छोटे बेटे चांद ने खाना छुपाकर अपनी मां के लिए रख लिया। लेकिन बड़ा बेटा सूरज स्वादिष्ट भोजन देखकर जल्दी-जल्दी खाने लगा।


बुढ़िया दरबाजे पर खड़े होकर अपने बच्चों के आने का इंतजार कर रही थी। बच्चों को देखकर उसने पूछा, ‘‘तुम दोनों ने क्या-क्या खाया?’’

बड़ा बेटा बोला, ‘‘मां, खाना इतना स्वादिष्ट था कि मैं आपको बता नहीं सकता।’’

‘‘तो मेरे लिए ले ही आता, मैं भी स्वाद चख लेती।’’ बुढ़िया ने कहा।

बुढ़िया की बात सुनकर सूरज बोला, ‘‘मां मुझे तो तुम्हारे लिए कुछ लेना याद ही नहीं रहा।’’


चांद ने अपने पास छुपाकर रखा खाना मां को देते हुए बोला, ‘‘मां यह तुम्हारे लिए हैं।’’

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बुढ़िया चिल्लाते हुए बोली, ‘‘तुने चोरी की….. और मेरे लिए खाना चुराया।’’

चांद बोला, ‘‘नहीं मां, मैंने कोई चोरी नहीं की हैं। मुझे जो कुछ दिया गया था, मैं वही लेकर आया हूं।’’

छोटे बेटे की बात सुनकर बुढ़िया की आंखों से आंसू बहने लगे। उसने चांद को गले से लगाते हुए कहा, ‘‘आज से तू आसमान में चन्द्रमा की तरह रात में चमकेगा। तुझे देखकर सभी खुश होगें और तुझे चंद्रामामा कहेंगे।’’

इसके बाद बुढ़िया ने बड़े बेटे सूरज को अभिशाप दिया कि तु सूरज बनकर दिन में निकेगा। तेरी गर्मी की तपीस की वजह से सभी तुझसे नफरत करेंगे।’’

कहा जाता है उस दिन से चांद रात में और सूरज दिन में निकलने लगे।

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