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प्रेरक कहानी : अपनापन | true motivational stories in hindi | apeksha mazumdar |
प्रेरक कहानी : अपनापन | true motivational stories in hindi | apeksha mazumdar
Prerak Kahani | Aparna Mazumdar
सुप्रसिद्ध रूसी लेखक इवान तुर्गेनेव स्वभाव से दानी व मिलनसार थे। उनमें नाम मात्र का भी घमंड नहीं था।
एक दिन की बात है। वे कहीं जा रहे थे। तभी रास्ते में उन्हें एक भिखारी मिला। भिखारी ने कुछ पाने की आशा से इवान तुर्गेनेव के सामने हाथ फैलाया।
इवान तुर्गेनेव अपने स्वभाव के अनुसार, दान देने के लिए अपने कोट की जेब में हाथ डाला। उन्हें यह जानकर बहुत दुख हुआ कि आज वे बटुआ लाना तो भूल ही गए है। उन्होंने अपने जेब से हाथ बाहर निकालते हुए भिखारी की तरफ देखा।
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भिखारी उनकी ओर आशाभरी नजरों से देख रहा था। इवान तुर्गेनेव ने दोबारा अपना हाथ कोट के दूसरे जेब में डाला और टटोलने लगे, लेकिन इस बार भी उन्हें कुछ नहीं मिला।
कुछ न पाकर इवान तुर्गेनेव को बहुत दुख हुआ। उन्होंने भिखारी के हाथों को पकड़कर कहां, ‘‘मैं आज तुम्हें कुछ नहीं दे सकता, इसके लिए मैं बहुत शर्मिंदा हूं।’’
इवान का अपनापन और प्यार पाकर भिखारी गदगद हो उठा। उसने कहा, ‘‘आपका ये अपनापन और स्नेह मेरे लिए काफी है। आज आपने जो दिया हैं, वह आज तक किसी ने नहीं दिया।’’ कहते हुए भिखारी वहां से चला गया।
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