
प्रेरक कहानियां ठगी गई करीना
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बैडी सियार बहुत ही धुर्त और मक्कार था. भोले भाले जानवरों को बेवकूफ बनाकर उन्हें ठगना उसका काम था.
एक दिन वह किसी को ठगने के इरादे से बाजार में इधर-उधर घूम रहा था. तभी उसकी नजर करीना बंदरिया पर पड़ी.
करीना ने ढेर सारे काफी मंहगे गहने पहने हुए थी. वह बाजार की ओर जा रही थी.
बैडी ने करीना को रोकते हुए, ‘‘चाची, इतनी जल्दी में कहां जा रही हो?’’ बैडी ने कहा.
‘‘बाजार जा रही हूं.’’ करीना ने कहा.
‘‘आपको नहीं मालूम बाजार में कर्फ्यू लगा हैं.’’
‘‘कर्फ्यू लेकिन मुझे तो बहुत जरूरी सामान लाना है.’’ कहते हुए करीना जाने लगी.
‘‘लेकिन वहां तो लूटपाट मची हुई है. अरे, आपने इतने सारे गहने क्यों पहन रखें. किसी ने लूट लिया तो. ये काफी मंहगे भी है.’’ बैडी ने कहां.
‘‘हां, गहने तो बहुत मंहगे है, लेकिन अब मैं क्या करूं, घर के लिए सामान लाना भी तो बहुत जरूरी है.’’ करीना ने उदास होते हुए कहा.
‘‘इसमें परेशान होने की बात नहीं हैं. आप सारे गहने मुझे उतार कर दे दीजिए. मैं यहीं आपके लौटने का इंतजार करता हूं. आप जल्दी से बाजार जाकर सामान ले आओ.’’ बैडी ने कहां.
‘‘लेकिन, ……’’ करीना कुछ चिंतित होते हुए बोली.
‘‘यदि आपको मुझ पर विश्वास नहीं है तो कोई बात नहीं. मैंने तो सिर्फ आपकी मदद करने के इरादे से कहां था.’’ कहते हुए बैडी जाने का नाटक करते हुए वहां से जाने को हुआ.
‘‘अरे बेटा, तुम तो नाराज हो गए. मैं तो सोच रही थी कि तुम मेरे लिए बेवजह कष्ट उठा रहे हो.’’
‘‘इसमें कष्ट की कोई बात नहीं है. जरूरत पड़ने पर सभी को एक दूसरे की मदद करनी चाहिए.’’ बैडी ने हमदर्दी दिखाते हुए कहा.
‘‘बेटा तुम कितने अच्छे हो. आज के जमाने में तुम भलाई का काम कर रहे हो.’’ कहते हुए करीना गहने उतारने लगी.
सारे गहने उतार कर बैडी को देते हुए करीना बोली, ‘‘तुम यही रूको मैं अभी सामान लेकर आती हूं.’’ कहते हुए करीना वहां से चली गई.
करीना ने बाजार से जल्दी-जल्दी सामान खरीदा और लौट आयी. लेकिन वहां बैडी को न पाकर वह उसे इधर-उधर ढुढ़ने लगी.
करीना ने सोचा शायद यही कहीं आसपास गया होगा, अभी आ जाएगा. वह वहां खड़े होकर बैडी के आने का इंतजार करने लगी. प्रेरक कहानियां | Prerak Kahaniya : thagi gai kareena | Hindi Kahaniya | Aparna Majumdar
काफी समय हो गया. जब बैडी वापस नहीं आया तो करीना परेशान हो गयी. उसने वहां आसपास के जानवरों से बैडी के बारे में पूछा.
हरी हिरण ने पूछा, ‘‘तुम उसे क्यों ढुढ़ रही हो?’’
‘‘मैंने उसके पास अपने गहने रखें थे.’’ करीना ने कहा.
‘‘तुमने अपने गहने उस मक्कार को संभाल कर रखने के लिए दिए थे.’’ कालू ने आश्चर्य से पूछा.
‘‘वह मक्कार नहीं है, मुझे लगता है कर्फ्यू की वजह से कहीं उसे कुछ न हो न गया हो.’’ करीना ने कुछ सोचते हुए कहां.
‘‘कर्फ्यू, कहां क्फूर्य लगा है.’’ करीना की बात सुनकर बंटी बंदर ने पूछा.
‘‘तुम्हें नहीं मालूम, बाजार में कर्फ्यू लगा हुआ है. चारों ओर लूटपाट मची हुई हैं. तभी तो मैंने अपने गहने उसे संभालने के लिए दिए थे.’’ करीना ने झिड़कते हुए कहां.
करीना की बात सुनकर वहां खड़े सभी जानवर हंसने लगे. कालू कुत्ते ने पूछा, ‘‘तुम भी बाजार गई थी, वहां कही, लूटपाट और कर्फ्यू देखा क्या?’’
करीना का माथा ठनका. उसके आंखों के सामने बाजार का दृश्य उभर आया. चारों ओर चहलपहल थी. कहीं भी लूटपाट जैसा माहौल नहीं था. जल्दी जल्दी सामान खरीदने के चक्कर में उसने इस बात की ओर ध्यान ही नहीं दिया था.
करीना को खामोश देखकर हरी हिरण ने कहां, ‘‘तुम्हें उस मक्कार ने ठग लिया है.’’
बंटी ने कहां, ‘‘तुम्हें इतने मंहगे गहने पहनकर बाजार आने की जरूरत ही क्या थी. आजकल तो समाचारों में भी दिखाया जा रहा है कि फलां जानवर को फलां जानवर ने बेवकूफ बनाकर ठग लिया हैं.’’ प्रेरक कहानियां | Prerak Kahaniya : thagi gai kareena | Hindi Kahaniya | Aparna Majumdar
करीना उनसे अब क्या कहती, क्योंकि अपनी बेवकूफी की वजह से वह ठगी जा चुकी थी. वह वहां से चुपचाप चली गयी.
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