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प्रेरक कहानी : असली सुख | Moral Stories in Hindi | Apeksha Mazumdar |
प्रेरक कहानी : असली सुख | Moral Stories in Hindi | Aparna Mazumdar
Prerak Kahani | Aparna Mazumdar
एक किसान था। उसके पास काला और गोरा नाम के दो बैल थे। किसान रोज सुबह अपने बैलों को खेतों में लेकर जाता और शाम को घर लौट आता था।
दिनभर खेतों में काम करने से बैल थक जाते थे। उन्हें लगता कि उनका मालिक बहुत जालिम है। वह उनसे बहुत काम करवाता है।
एक दिन मौका पाकर दोनों बैल वहां से भाग गए। भागते-भागते दोनों पास के गावं में पहुंच गए।
दोनों को इधर-उधर आवारा घुमते हुए देखकर एक चोर की नजर उन पड़ी। इतने हष्ट-पुष्ट बैलों को देखकर उसने उन्हें पकड़ लिया और बाजार में ले जाकर बेच दिया।
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नया मालिक बहुत ही धुर्त था। वह दोनों बैलों को बैलगाड़ी में बांध कर माल ढोने का काम करवाने लगा। वह दिन रात उन्हें एक गावं से दूसरे गावं लेकर घुमता रहता था।
सामानों के वजन से दोनों बैलों की पीठ दुखती और चलते-चलते वे थक जाते थे। इसके बावजूद वह व्यापारी उन्हें आराम से बैठने नहीं देता था।प्रेरक कहानी : असली सुख | Moral Stories in Hindi
दोनों बैल अपने पुराने मालिक को याद करके दुखी होते थे। संजोग से एक दिन व्यापारी सामान के साथ उनके गांव में पहुंचा। गावं का रास्ता और खेतों को देखकर दोनों बैलों की खुशी का ठिकाना न रहा।
गोरा बोला, ‘‘काला, यह तो हमारा गावं हैं।’’
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प्रेरक कहानी : असली सुख | Moral Stories in Hindi | Apeksha Mazumdar |
काला ने हां में हां मिलाते हुए कहा, ‘‘गोरा, चल जल्दी भाग चल।’’
दोनों बैल बैलगाड़ी समेत तेजी से दौड़ने लगे।
उबड़-खाबड़ रास्ते से भागते-भागते बैलगाड़ी उल्ट गई। व्यापारी सामान के साथ जमीन पर गिर गया। उसके हाथ से लगाम छुट गई। प्रेरक कहानी : असली सुख | Moral Stories in Hindi
दोनों बैल भागते-भागते किसान के घर पर ही जाकर रूके।
दोनों बैलों को देखकर किसान बहुत खुश हुआ। वह उनकी दुर्दशा देखकर उनसे लिपटकर रोने लगा।
किसान ने उन्हें हरी-हरी घास खाने को दी।
काला बोला, ‘‘हमारा पुराना मालिक जालिम नहीं हैं।’’
गोरा बोला, ‘‘यदि हमने कष्ट न झेला होता तो आज तक सुख क्या है यह न जान पाते।’’
‘‘हां कष्ट के बाद ही सुख के बारे में पता चलता है।’’ गोरा ने अपने मालिक की तरफ देखते हुए कहा।
(Copyright: All Rights Aparna Mazumdar)
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